रिफ्लेक्सोलॉजी (पैरों की थेरपी)का प्रशिक्षण देगा उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड

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15 दिनों तक चलेगा रिफ्लेक्सोलॉजी (पैरों की थेरपी) का  प्रशिक्षण

देहरादून। उम्र के साथ शरीर को स्वस्थ रखने व पैरों की पीड़ा को दूर करते हुए उन्हें मजबूत बनाये जाने के नुस्खे से रूबरू कराएगा अब उत्तराखण्ड पर्यटन विकास बोर्ड।

चार धाम यात्रा और 15 चयनित ट्रेकिंग ट्रैक्शन सेंटर के पास रोजगार के अवसर सृजित करने के उद्देश्य से उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड (यूटीडीबी) की ओर से उत्तरकाशी में एक महीने और रुद्रप्रयाग में 15 दिनों तक रिफ्लेक्सोलॉजी (पैरों की थेरपी) के लिए प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया जा रहा है। यह निशुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रम माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड जम्मू, कटरा के चार विशेषज्ञों की अध्यक्षता में आयोजित किया जाएगा। दोनों जगह होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम में करीब 70 से अधिक लोग हिस्सा लेंगे। प्रशिक्षण कार्यक्रम 23 नवंबर से शुरू किया गया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के संबंध में मंगलवार को सुभाष रोड स्थित अपने कैंप कार्यालय में पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि रिफ्लेक्सोलॉजी (पैरों की मसाज) हमारी प्राचीन चिकित्सा है। रिफ्लेक्सोलॉजी एक प्रकार की वैकल्पिक चिकित्सा है, जो भारत साहित अन्य एशियाई देशों में काफी प्रचलित है। रिफ्लेक्सोलॉजी एक ऐसी थ्योरी पर काम करती है जो शरीर के अंगों और तंत्रों से जुड़ी होती है। शरीर के कुछ अंगों पर दबाव देने से शरीर को कई तरह के फायदे होते हैं। रिफ्लेक्सोलॉजी की सभ्य कला आपके पैरों, हाथों और कानों पर स्थित विशिष्ट प्रतिबिंब बिंदुओं पर मालिश पर केंद्रित है जो आपके शरीर के हर क्षेत्र से मेल खाती है। यह पहल श्री गंगोत्री धाम, श्री केदारनाथ धाम समेत ट्रेकिंग में आने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी। पर्यटन मंत्री श्री सतपाल महाराज ने कहा कि यह प्रशिक्षण निश्चित रूप से चार धाम और अन्य स्थानों पर जाने वाले हमारे तीर्थयात्रियों के लिए मददगार साबित होगा। इसके साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के द्वार भी खुलेंगे।

पर्यटन सचिव श्री दिलीप जावलकर ने बताया कि रिफ्लेक्सोलॉजी चिकित्सा विधि में बिना तेल या लोशन का इस्तेमाल किये अंगूठे, अंगुली और हस्त तकनीक द्वारा पैर और हाथ पर दबाव डाला जाता है। पैरों की थेरपी करने से तनाव काफी कम हो जाता है। यह चिकित्सा ऊर्जा के प्रवाह को सुनिश्चित करता है और व्यक्ति को शांति और आराम मिलता है। कई लोग बीमारी के शारीरिक लक्षणों, जैसे कि सिरदर्द, थकान और अनिद्रा के साथ मदद करने के लिए रिफ्लेक्सोलॉजी उपचार की तलाश करते हैं। यह भी कहा जाता है कि इस 2,000 साल पुरानी मालिश चिकित्सा का ज्ञान और तकनीक बौद्ध भिक्षुओं के गुप्त रहस्य थे। जिन्हें जीवित रखा गया और पीढ़ियों से पारित किया गया।

यूटीडीबी के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (साहसिक पर्यटन) कर्नल अश्विनी पुंडीर ने कहा कि प्रशिक्षित फुट थेरेपिस्ट रिफ्लेक्सोलॉजी के लिए 150 से 300 रुपये लेते हैं और प्रति दिन 1000 से 1500 रुपये तक कमा सकते हैं। इतना ही नहीं इससे तीर्थयात्रियों/पर्यटकों/ट्रेकरों को देवभूमि उत्तराखंड के पहाड़ों पर चलते हुए बहुत राहत भी मिलेगी। दुनिया भर में बड़ी संख्या में रिफ्लेक्सोलॉजिस्ट इस तरह की सुविधा दे रहे हैं।

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