स्व.बडोनी के आदर्शों की अनदेखी दुर्भाग्यपूर्ण : आंदोलनकारी मंच

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मंच ने इंद्रमणि बडोनी की पुण्यतिथि पर किये श्रद्धा सुमन अर्पित

देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच द्वारा घण्टाघर स्थित स्व. इन्द्रमणी बडोनी की पुण्य तिथि पर  उनकी प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाकर भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित क़ी।
मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी व वेदा कोठारी ने स्व.बडोनी के आदर्शों की अनदेखी को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि जो सपने पर्वतीय गाँधी इन्द्रमणी बडोनी जी द्वारा देखें गऐ थे वह सिरे से गायब है। अब तक राजनैतिक दलों ने पूरे प्रदेश में केवल धन बल क़ी राजनीति के साथ हमारे जल जंगल जमीन को लगातार लुटाते जा रहे है।
राज्य आंदोलनकारी मंच सरकार से मांग करता है कि स्वर्गीय इन्द्रमणी बडोनी के इतिहास को हमारी पाठ्य पुस्तको में रखा जाय और आज क़ी पीढ़ी को उनकी सादगी व पृथक उत्तराखण्ड राज्य के नेतृत्व के बारे में पढ़ाया जाय।
जिला अध्यक्ष प्रदीप कुकरेती व सुरेश नेगी ने कहां कि आज हमे अपने गांधी क़ी जमीन बचानी भारी पड़ गई है जिस प्रकार भू कानून में बदलाव कर पूरे भारत के लिए दरवाजे खोल दिए है साथ ही पृथक राज्य बनाए जाने हेतु बडोनी जी ने रोजगार क़ी दृष्टि से जो अपेक्षा क़ी थी वह कही भी परिलक्षित नही होती दिखाई देती उल्टा भाजपा सरकार ने भू कानून के साथ समूह ग क़ी नौकरी के दरवाजे भी पूरे द्वार खोलकर हमारे बेरोजगारों को धोखा देने का कार्य किया गया।
समीक्षा अधिकारी संघ के अध्यक्ष जीतमणी पैन्यूली व पूर्ण सिंह लिंगवाल ने कहा कि जिला प्रशासन से लेकर सरकार के नुमाइन्दो ने उत्तराखण्ड के पुरोधा पर्वतीय गाँधी बडोनी जी क़ी जो उपेक्षा करते है उसे हमारे प्रदेश क़ी जनता कभी माफ नही करेगी।
राज्य आंदोलनकारी मंच के जयदीप सकलानी द्वारा बैठकों में हल टंगे है बल हमारे गांव में ….अब पधानौ के मजे है बल हमारे गांव में …
का गीत गाकर बडोनी जी को श्रद्धांजली अर्पित क़ी,  जिस पर सभी ने साथ गा कर सहयोग दिया।
आज श्रद्धांजली सभा में जगमोहन सिंह नेगी, पूर्ण सिंह लिंगवाल, प्रदीप कुकरेती, जीतमणी पैन्यूली , सुरेश नेगी, प्रभात डण्डरियाल, वेदा कोठारी,
जयदीप सकलानी, रामलाल खंडूड़ी, अमित जैन, डाक्टर मुकुल शर्मा, गैरोला, जबर सिंह, शकुन्तला नेगी आदि मौजूद रहे।
उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच के जिला अध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने पर्वतीय गाँधी स्वo इन्द्रमणी बड़ोनी जी के लिए भारत सरकार से उन्हे मरणोपरांत भारत रत्न देने क़ी मांग क़ी है।
पृथक राज्य क़ी लड़ाई को गांधीवादी तरीके से लड़ा गया था। उस आन्दोलन के दौर मैं बी बी सी लन्दन तक ने ये बोला कि यदि आज भी गाँधी जी को देखना चाहते है तो उत्तराखण्ड  क़ी मांग करने वाले इन्द्रमणी बडोनी को देखो और मिलो।
आज क़ी पीढ़ी को मालूम ही नही कि बड़ोंनी जी कौन है और इनका क्या योगदान है प्रत्येक सरकार से हम मांग करते रहे कि पाठ्यक्रम मैं उनका इतिहास लिखा और पढ़ाया जाय।

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