हिन्दी से न्याय’ देशव्यापी अभियान के अधिष्ठाता मंडल का हिस्सा होंगे भारतीय छात्र

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देहरादून। प्रख्यात स्तंभकार व प्रकाण्ड विद्वान श्री वेद प्रताप वैदिक समेत देश के विविध उच्च पाठ्यक्रमों में हिंदी को प्रतिष्ठित करने वाले प्रथम भारतीय छात्र अब ‘हिन्दी से न्याय’ देशव्यापी अभियान के अधिष्ठाता मंडल का हिस्सा होंगे। वहीं उत्तराखंड से विभिन्न आयामों में कार्यरत प्रमुख लोगों को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिसमें जनसंचार विधा को समर्पित वरिष्ठ स्तंभकार व जनसंचार विधा विशेषज्ञ श्री विनायक कुलाश्री अभियान के ‘केन्द्रीय संवाद संप्रेषक’ बनाया गया है। ज्ञातव्य रहे कि दीनदयाल उपाध्याय के पारिवारिक प्रपौत्र व उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्री चन्द्रशेखर उपाध्याय के कुशल नेतृत्व में यह अभियान वर्षों से सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है।

हिंदी से न्याय अभियान की केंद्रीय संचालन समिति की वर्चुअल बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। जिसमें तय किया गया कि उत्तराखंड से भी अनेक लोगों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी जाएं।
जैसा कि विदित ही है कि उत्तराखंड की अनेक आंदोलनों में सदैव बड़ी महत्वपूर्ण भूमिकाएं रही हैं। विशेषकर राष्ट्रीय विचारधारा के विषयों से उत्तराखंड का जनमानस विशेष तौर पर जुड़ता है। इसी कारण हिंदी से न्याय देशव्यापी अभियान में अपनी सेवाएं देने हेतु भी उत्तराखंड से अनेक महत्वपूर्ण लोगों को चुना गया है।
जिसमें उत्तराखंड से श्री निशीथ सकलानी, श्रीमती बीना उपाध्याय, श्री भारती एवं श्री राजीव मैथ्यू को अमात्य मंडल में जिम्मेदारी सौंपी गई है। आमात्य मंडल में देश के विभिन्न भागों से कुल 40 महानुभावों को इस आन्दोलन में प्रमुखता से जोड़ा गया है।

वहीं इस अभियान के केंद्रीय संवाद सम्प्रेषक विनायक कुलाश्री लम्बे समय से जनसंचार विभाग के विभिन्न आयामों में कार्यरत हैं। वह जनसंचार एवं पत्रकारिता विषय हेतु विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ स्टडीज के मेंबर भी रह चुके हैं। विशेषकर जनसंपर्क, लेखन व जनसंचार की नवीन विधाओं में वर्षों से सक्रिय हैं। समाज सेवा के विभिन्न मंचों पर भी वह विभिन्न दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं।

देश के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकारों, कथाकारों, समीक्षकों, कवियों, आलोचकों, लेखकों, व्यंग्यकारों, कहानीकारों, शीर्ष सम्पादकों, पत्रकारों, ब्लॉगरों, शिक्षाविदों,पोर्टल विश्लेषकों, छायाकारों, कलावन्तों, विद्वतजनों, समाज-जीवन के यक्ष-प्रश्नों पर संघर्षरत जीवनव्रतियों एवम् प्रतिष्ठित-सज्जनों को अभियान के आमात्य मंडल में शामिल किया गया है। केंद्रीय अधिष्ठाता मंडल को अभियान की सर्वोच्च सम्मानित इकाई माना गया है। केंद्रीय अधिष्ठाता मंडल के अनुभव एवं सुझावों को वरीयता क्रम में रखा जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर अपना शोध प्रबंध लिखने वाले प्रथम भारतीय एवं प्रख्यात पत्रकार “श्री वेद प्रताप वैदिक”, हिंदी में बी.टेक. की प्रोजेक्ट रिपोर्ट को प्रस्तुत करने वाले प्रथम भारतीय छात्र इंजीनियर श्याम रुद्र पाठक, एम.डी. का शोध प्रबंध हिंदी में प्रस्तुत करने वाले पहले भारतीय छात्र प्रख्यात चिकित्सक डॉक्टर मुनीश्वर गुप्ता, आई.आई.टी. की प्रवेश परीक्षा में हिंदी भाषा को वैकल्पिक माध्यम बनाने हेतु संघर्ष का बिगुल फूंकने वाले श्री मुकेश जैन, हिंदी माध्यम से विधि-स्नातक करने वाले विद्यार्थियों को दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत करने की अनुमति दिलाने हेतु कड़ा संघर्ष करने वाले श्री पुष्पेंद्र चौहान, एएमआई एवं पॉलीटेक्निक पाठ्यक्रम में हिंदी भाषा को लागू कराने वाले पहले भारतीय छात्र श्री विनोद गौतम, जामिया विश्वविद्यालय में एम.ए. व एम-एड की परीक्षा में हिंदी को वैकल्पिक माध्यम बनाने वाले श्री अजय मलिक एवं हिन्दी माध्यम से प्रबन्धन विषय में पीएचडी करने वाले प्रथम भारतीय छात्र डॉ. भानु प्रताप सिंह अपने सुझावों एवं अनुभवों से हिंदी से न्याय अभियान को गति प्रदान करेंगे।

अभियान के आमात्य मंडल में प्रख्यात संपादक श्री अशोक पाण्डेय, वरिष्ठ पत्रकार श्री सियाराम पाण्डेय “शांत”, श्री सुभाष शर्मा, श्री निशीथ सकलानी, आलोचक एवं समीक्षक श्री बंधु कुशावर्ती, पोर्टल विश्लेषक श्री रोहित सिंह, श्री राजीव मैथ्यू, श्रीमती वीणा उपाध्याय, श्री सादाब अली, सरदार अमोलक सिंह, श्रीमती भारती, उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ निरंतर निर्णायक मुहिम चला रहे हिमालय के “अन्ना” श्री रघुनाथ सिंह नेगी, छोटे-छोटे राज्यों के गठन हेतु कई दशकों से देश भर में अभियान चला रहे प्रखर सोशलिस्ट श्री आदिल गांधी,
श्रीराम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद मामले में सर्वोच्च न्यायालय में अधिवक्ताओं के पैनल में शामिल सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री उजमी जमील हुसैन, तीन- तलाक मामले में याचिकाकर्ता एवं सुप्रसिद्ध अधिवक्ता, बार-कौंसिल ऑफ इण्डिया की विशेष समिति के निवर्तमान सदस्य एवम् बार-कौंसिल ऑफ़ उत्तराखंड के सदस्य श्री चंद्रशेखर तिवारी, मानवाधिकारों पर न्यायालयों में निरन्तर निःशुल्क पैरवी कर रहे सुप्रसिद्ध अधिवक्ता श्री विष्णु गुप्ता, मुंशी प्रेमचंद के साहित्य के विशेषज्ञ एवं समीक्षक डॉ प्रदीप जैन, आजादी बचाओ आंदोलन के सर्वेसर्वा डॉ कृष्ण स्वरूप आनंदी, चतुर्भुज राजमार्ग योजना के प्रमुख योजनाकार, कहानीकार एवं कवि इंजीनियर अशोक चंद्र, लेखक एवं समीक्षक श्री तरुण गोयल, यमुना शुद्धिकरण का अभियान चला रहे समाजसेवी श्री पवन कुमार चतुर्वेदी, क्रांतिकारियों के परिजनों को एक मंच पर लाकर उन्हें देशव्यापी पहचान दिलाने वाले एवं तथ्य पूर्ण क्रांतिकारी इतिहास लिखने वाले प्रख्यात प्रगतिशील लेखक एवं विचारक श्री शिव प्रकाश पचौरी की पुत्री रेनू शर्मा, पंडित कमलापति त्रिपाठी के पौत्र श्री राजेशपति त्रिपाठी, मध्य-प्रदेश विधानसभा के निवर्तमान सचिव डॉ.महेश तिवारी, दिल्ली उच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री अनिल त्रिपाठी सहित कुल 40 नामवर लोगों को शामिल किया गया है।

शहीदे-आजम सरदार भगत सिंह के परिवार से प्रखरदीप सिंह, हार्डी बम काण्ड के नायक क्रान्तिकारी रोशन लाल गुप्ता “करुणेश” के पुत्र सम्पादक श्री आदर्श नंदन गुप्ता, महामना मदन मोहन मालवीय के प्रपौत्र श्री तिलक मालवीय, नाना देशमुख के परिवार से श्री चैरब मजूमदार, पं. दीनदयाल उपाध्याय के परिवार की एक अन्य परिजन श्रीमती आशा मिश्रा, निवर्तमान प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई की बड़ी बहन श्रीमती कमला दीक्षित की पुत्रवधू एवं उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्या श्रीमती निर्मला दीक्षित, संघ-प्रमुख रहे रज्जू भैया के परिवार से श्रीमती अनामिका विक्रम सिंह, कालजयी कविताओं के रचयिता प्रख्यात बाल-कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी के सुपुत्र एवम् आगरा कालेज के प्राचार्य रहे डॉ .विनोद कुमार माहेश्वरी, देश के लब्ध प्रतिष्ठित कलाविद् डॉ .बी.पी.कम्बोज की बेटी शिक्षाविद् एवम् कलाविद् डॉ. ऋचा काम्बोज, वैज्ञानिक डॉ. गोपाल शंकर शर्मा, कवियत्री डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा, डा. दीपा”कृष्ण”, रसायनज्ञ डॉ. पंकज सिंघल, डॉ. ओम मिश्र, सामाजिक कार्यकर्ता श्री अनुराग मोहन कुलश्रेष्ठ प्रमुख रूप से शामिल हैं।

इसके अतिरिक्त हिंदी से न्याय अभियान के देशव्यापी हस्ताक्षर अभियान की सफलता के बाद कुछ प्रांत प्रमुखों को केंद्रीय टीम में स्थान दिया गया है। इनमें दिल्ली की मलिन व दलित बस्तियों में शिक्षा का अलख जगा रहे दिल्ली के प्रांत प्रमुख श्री रोहित गौतम और मध्य प्रदेश के प्रांत प्रमुख श्री मनोज शुक्ला को केंद्रीय टीम में शामिल किया गया है। वहीं वरिष्ठ स्तंभकार श्री सिद्धार्थ शंकर को मध्य प्रदेश का नया प्रांत प्रमुख, श्री रोहित गौतम के स्थान पर सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री विपुल कुमार सिंह को दिल्ली का नया प्रांत प्रमुख नियुक्त किया गया है। वृहत उत्तर प्रदेश को चार भागों में विभक्त किया गया है। वृहद् उत्तर प्रदेश प्रांत में डॉक्टर देवी सिंह नरवार का दायित्व यथावत रहेगा। नवीन प्रांतों में पूर्वांचल प्रांत में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री प्रवीण श्रीवास्तव, पश्चिमांचल प्रांत में श्रीमती आशा सिंह चौधरी, दक्षिणांचल प्रांत में प्रख्यात ज्योतिषाचार्य डॉ. चंद्रेश कौशिक और विंध्याचल प्रांत में डॉ. राजीव शर्मा ‘निस्पृह’ को नया प्रांत प्रमुख घोषित किया गया है।वर्चुअल बैठक में तय हुआ है कि संविधान के अनुच्छेद 348 में संशोधन हेतु पुनः राष्ट्रीय सहमति बनाई जाएगी। इसके लिए देश के लगभग 22 से अधिक राजनीतिक दलों के शीर्ष नेतृत्व से वार्ता कर पुनः नया समर्थन मांगा जायेगा। जिसके लिए संवाद विस्तारक नियुक्त किए गए हैं। संवाद विस्तारकों की टोली के गठन का जिम्मा श्री विनायक कुलाश्री को सौंपा गया है। शीघ्र ही संवाद विस्तारकों की एक टोली भारत के प्रधानमंत्री व लोकसभा अध्यक्ष से भी मिलेगी। इसके लिए पीएमओ व लोकसभा अध्यक्ष कार्यालय से समय मांगा गया है। यह टोली भारत के प्रधानमंत्री व लोकसभा अध्यक्ष से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग करेगी। साथ ही यह भी मांग करेगी कि अनुच्छेद 348 में संशोधन हेतु संसद के दोनों सदन सामूहिक संकल्प पारित करें।

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