दूरियों को नजदीक लाने के संचार का माध्यम : वर्चुअल मीट 

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क्वांसु पराण पौथी का वर्चुअल लोकार्पण

देहरादून। दूर रहकर दिलो की बात आसानी से सुनने व समझने के तरीके अब बदल गए है। कहीं भी किसी भी जगह अपनी भावनाऐं व विचारों के आदान प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता वर्चुअल मीट आज सामाजिक सरोकारों की आवाज बनता जा रहा है। इसी श्रखंला में आज पहाड़ की संस्कृति व भाषा साहित्य पर आधारित वैचारिक मंथन हुआ जिसका उद्देश्य गढ़वाली साहित्य व उनकी रचनाओं से लोगो को रूबरू कराना था। इसी के साथ गढ़वाली साहित्य व संस्कृति पर आधारित साहित्यकार मनोज भट्ट ‘गढ़वळि’ की *क्वांसु पराण पौथी* लोकार्पण का कार्यक्रम वर्चुअल के माध्यम से किया गया। जिसका संचालन वरिष्ठ साहित्यकार बीना बेंजवाल ने किया।
वरिष्ठ पत्रकार एवं गढ़वळि भाषा बोली के प्रति लोगो को जागरुक करने के प्रयासों में जुटे ईश्वर प्रसाद उनियाल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वर्चुअल कार्यक्रम में गढ़वळि साहित्य के प्रति अपना योगदान दे रहे गढ़वळि साहित्यकारों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि कोरोनाकाल में गढ़वाली भाषा साहित्य को जागरुक करने व अपनी बात रखने का वर्चुअल मीट एक बेहतर व कारगर माध्यम है।
इस अवसर पर वीरेन्द्र पंवार व उमेश चमोला द्वारा वक्ता के रूप में गढ़वळि साहित्य पर गंभीर चर्चा की गई। समीक्षक के रूप में मदन मोहन डुकलान ने वक्ताओं के विचारों की सराहना करते हुए लोगो मे गढ़वळि साहित्य के प्रति जागरुकता लाने की बात कही।

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