जिन्हें नाज था उत्तरखण्ड राज्य पर अब वो सिर्फ यादे बनकर रह गए 

जिन्हें नाज था उत्तरखण्ड राज्य पर अब वो सिर्फ यादे बनकर रह गए 


देहरादून। पृथक उत्तराखंड राज्य के सजग प्रहरी के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके वे आंदोलनकारी जिन्हें सरकार द्वारा पुरुस्कारों से नवाजा जाना चाहिए था परन्तु बेरहम वक्त के हाथों ने उन्हें इस दुनियां से रुक्सत कर दिया। उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच की ओर से लगातार दूसरे दिन भी आंदिलनकरियो की मौत की खबरे सुनने को मिल रही है । वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी मातृ शक्ति सोना देवी (70) के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उत्तराखंड आंदोलनकारियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किये। कल देर सांय हरिद्वार में उनका अंतिम संस्कार किया गया।
चन्द्र किरण राणा ने कहा कि पृथक उत्तराखण्ड राज्य के लिए माँ तो सड़को पर आंदोलनरत रही ही परन्तु उनके पुत्र भी उतने ही सक्रिय रहें वह 1995 में टपकेश्वर में भूख हड़ताल पर बैठ गये थे।
रामलाल खंडूड़ी और वीरेन्द्र गुंसाई ने कहा कि इस पूरे परिवार का राज्य आन्दोलन में पूरा सहयोग रहा।
जगमोहन सिंह नेगी व प्रदीप कुकरेती ने कहा कि राज्य आंदोलनकारी एक एक कर हमारे बीच से दुनिया छोड़कर जा रहें है़ और हमारे सपनो के अनुरूप अभी कुछ हुआ भी नही वह स्वपन कब पूरा होगा या कितनी कुर्बानियां और देनी होगीं ये ईश्वर ही जानता है़।
शोक व्यक्त करने वालों ओमी उनियाल , जगमोहन सिंह नेगी , वेदा कोठारी , रामलाल खंडूड़ी , प्रदीप कुकरेती , कमल गुसाई , वीरेंद्र गुसाई , चंद्र किरण राणा , शिवानंद चमोली , अनिल वर्मा , अनुराग भट्ट , सतेन्द्र नोगाई , दीपक बर्थवाल , गणेश डंगवाल , प्रभात डन्ड्रियाल , विनोद असवाल आदि रहें।

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